<p style="text-align: justify;"><strong>Pushpa Kamal Dahal Indian Visit:</strong> नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' ने शनिवार (20 मई) को कहा कि इस बार की उनकी भारत यात्रा के लिए 'अच्छी तैयारी' हुई है और यह द्विपक्षीय संबंधों में 'नया इतिहास' लिखेगा. प्रचंड का भारत दौरा कई कारणों से तीन बार टल चुका है.</p> <p style="text-align: justify;">समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सीपीएन-माओवादी सेंटर के नेता दहल के पिछले साल दिसंबर में तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत की यह यात्रा उनकी पहली विदेश यात्रा होगी. उन्होंने कहा, &lsquo;&lsquo;हमने इस बार भारत की यात्रा के लिए अच्छी तैयारी की है. भारत ने भी यात्रा के लिए गंभीर तैयारियां की हैं, ऐसा मैं महसूस करता हूं.&rsquo;&rsquo;</p> <p style="text-align: justify;"><strong>&lsquo;नया इतिहास रचा जाएगा&rsquo;</strong></p> <p style="text-align: justify;">प्रचंड ने नेपाल के एक प्रमुख समाचार पत्र &lsquo;कांतिपुर डेली&rsquo; से बातचीत के दौरान कहा, &lsquo;&lsquo;इस बार मैं इस विश्वास के साथ भारत की यात्रा कर रहा हूं कि एक नया इतिहास रचा जाएगा.&rsquo;&rsquo; उन्होंने कहा, &lsquo;&lsquo;इस बार, मुझे विश्वास है, नेपाल यात्रा से कुछ नया हासिल होगा. मेरा मानना है कि नेपाल-भारत संबंधों को एक नई ऊंचाई पर ले जाया जाएगा. नेपाल और भारत दोनों के लिए, यात्रा द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और आर्थिक सहयोग के नए क्षेत्रों का पता लगाने का अवसर प्रदान करेगी.&rsquo;&rsquo;</p> <p style="text-align: justify;"><strong>यात्रा की आधिकारिक घोषणा नहीं</strong></p> <p style="text-align: justify;">समाचार पत्र ने विदेश मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से कहा कि प्रधानमंत्री के 31 मई को भारत की चार दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर जाने की संभावना है. हालांकि, प्रस्तावित यात्रा की तारीख और यात्रा कार्यक्रम की अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है.</p> <p style="text-align: justify;">'प्रचंड' से जब यह पूछा गया कि तीसरी बार प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद उन्होंने सबसे पहले भारत की यात्रा करने का विकल्प क्यों चुना, तो उन्होंने कहा, &lsquo;&lsquo;हालांकि पहले भारत जाने की कोई कानूनी या राजनीतिक बाध्यता नहीं है, लेकिन ऐसा करने की परंपरा है क्योंकि हमारे बीच एक खुली सीमा है और हमारे संबंध आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक निकटता और दोनों देशों के लोगों के बीच संपर्क के कारण अनोखे हैं.&rsquo;&rsquo;</p> <p style="text-align: justify;">हालांकि, प्रचंड ने 2008 में प्रधानमंत्री के तौर पर अपने पहले कार्यकाल के दौरान &lsquo;&lsquo;पहले चीन का दौरा करके परंपरा को तोड़ा था.&rsquo;&rsquo; उन्होंने कहा, &lsquo;&lsquo;कुछ समय पहले यात्रा के लिए तैयारियां की जा रही थीं, लेकिन (भारतीय पक्ष की ओर से) वहां चुनाव के कारण यात्रा को कुछ समय के लिए स्थगित करने का अनुरोध किया गया था. इसके बाद मैंने उनसे कहा कि वित्त मंत्री की ओर से 29 मई को बजट पेश करने से पहले यात्रा करना संभव नहीं होगा.&rsquo;&rsquo;</p> <p style="text-align: justify;"><strong>हिंदू धर्म को बढ़ावा देने के सवाल पर ये बोले &lsquo;प्रचंड&rsquo;</strong></p> <p style="text-align: justify;">हिंदू धर्म को बढ़ावा देने के लिए कुछ नेपाली नेताओं को बीजेपी की ओर से धन मुहैया कराने के संबंध में मीडिया की खबरों से जुड़े सवाल के जवाब में प्रचंड ने कहा कि यह एक बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है. प्रचंड ने कहा, &lsquo;&lsquo;सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है और ऐसे में जब भारत की यात्रा होने वाली है, मुझे लगता है कि इस संबंध में नई दिल्ली के साथ किसी तरह की आम सहमति बनाने की जरूरत है.&rsquo;&rsquo;</p> <p style="text-align: justify;"><strong>ये भी पढ़ें: <a title="Nepal News: प्रधानमंत्री को फिर से विश्वासमत हासिल करने की जरूरत नहीं- बोले नेपाल के शीर्ष नेता&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;" href="https://ift.tt/GDc537v" target="_self">Nepal News: प्रधानमंत्री को फिर से विश्वासमत हासिल करने की जरूरत नहीं- बोले नेपाल के शीर्ष नेता</a></strong></p>

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