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झारखंड सरकार ने केंद्र को लिखी चिट्ठी, निजी अस्पतालों का वैक्सीन कोटा घटाकर पांच फीसदी करने की मांग

<p style="text-align: justify;"><strong>रांची:</strong> झारखंड सरकार ने पत्र लिखकर केंद्र सरकार से मांग की है कि राज्य को मिलने वाले कोविड टीके में से निजी अस्पतालों का कोटा पूर्व में तय 25 प्रतिशत से घटाकर सिर्फ पांच प्रतिशत कर दिया जाए और 95 प्रतिशत टीके राज्य सरकार को दिए जाएं. राज्य सरकार का कहना है कि निजी क्षेत्र के अस्पतालों में न तो टीकाकरण को लेकर उत्साह है और न ही राज्य की अधिकतर जनता निजी क्षेत्र में पैसा देकर कोरोना संक्रमण का टीका लगवाने की स्थिति में है.</p> <p style="text-align: justify;">राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अरुण सिंह की ओर से केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव को लिखे पत्र में कहा गया है कि राज्य की ज्यादातर जनता गरीब है और आदिवासी और पिछड़े समाज से है, जिसे देखते हुए 95 प्रतिशत टीका राज्य सरकार को उपलब्ध कराने से राज्य में टीकाकरण की भी रफ्तार बढ़ेगी. वहीं, निजी अस्पतालों के लिए 25 प्रतिशत कोटा तय करने से टीके का समय पर उपयोग नहीं हो पाएगा.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>गांंवों में रहते हैं 75 प्रतिशत लोग</strong></p> <p style="text-align: justify;">उड़ीसा सरकार के जरिए पूर्व में केंद्र को लिखे इसी तरह के पत्र की तर्ज पर 28 जून के अपने पत्र में झारखंड सरकार ने केंद्र से कहा है कि झारखंड में 75 प्रतिशत लोग गांवों में रहते हैं, जहां निजी अस्पतालों की संख्या काफी कम है. इन सभी का टीकाकरण सरकारी स्तर पर ही संभव है. वहीं, राज्य में 37 प्रतिशत से अधिक आबादी गरीबी रेखा के नीचे की श्रेणी में है जो राशि का भुगतान कर टीकाकरण कराने में सक्षम नहीं हैं.</p> <p style="text-align: justify;">इतना ही नहीं, राज्य में 24 जिलों में 13 जिले जनजातीय बहुल क्षेत्र में आते हैं. साथ ही 19 जिले उग्रवाद प्रभावित हैं. इसमें कहा गया है कि दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण को लेकर लोगों में संशय भी है, जिसे दूर करने के लिए जो प्रयास राज्य सरकार कर रही है वह निजी क्षेत्र के लिए संभवतः संभव नहीं होगा. राज्य सरकार सहिया, आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका, सखी मंडल आदि के सहयोग से गरीबों और दूरदराज के लोगों का टीकाकरण करा रही है. ऐसे में सरकारी क्षेत्र के लिए अधिक टीका मिलना जरूरी है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>निजी अस्पतालों में हुए टीकाकरण की हिस्सेदारी कम</strong></p> <p style="text-align: justify;">केंद्र सरकार ने जो दिशानिर्देश जारी किए हैं उसके अनुसार कंपनियों में जितने टीके का उत्पादन होगा, उनमें 75 प्रतिशत राज्यों को मुफ्त उपलब्ध कराया जाएगा, जबकि 25 प्रतिशत टीके निजी अस्पतालों के लिए उपलब्ध रहेंगे. अतिरिक्त मुख्य सचिव सिंह ने अपने पत्र में यह भी कहा है कि राज्य में 30 जनवरी से निजी अस्पतालों में टीकाकरण शुरू होने के बाद से लेकर 30 अप्रैल तक जो टीकाकरण हुआ है, उनमें निजी अस्पतालों में हुए टीकाकरण की हिस्सेदारी मात्र दो प्रतिशत है.</p> <p style="text-align: justify;">पत्र में यह भी कहा है कि 16 जून को निजी अस्पतालों के साथ हुई बैठक के बाद तीन अस्पतालों ने ही अभी तक कोरोना के टीकों की मांग सीमित मात्रा में की है. इसके उलट यदि सरकारी क्षेत्र में अधिक टीके मिलते हैं तो राज्य सरकार और भी तेजी से टीकाकरण कर सकती है. केंद्र सरकार से शीघ्र इस नीति में बदलाव कर राज्य सरकार को अधिकाधिक टीके उपलब्ध कराने का आग्रह किया गया है, जिससे यहां की समस्त जनता का शीघ्र टीकाकरण किया जा सके.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>यह भी पढ़ें: <a title="Covid-19 Vaccine: कोरोना वैक्सीन लगवाने के बाद दिख सकते हैं ये लक्षण, इस तरह करें इलाज" href="https://ift.tt/3y8BLnH" target="_blank" rel="noopener">Covid-19 Vaccine: कोरोना वैक्सीन लगवाने के बाद दिख सकते हैं ये लक्षण, इस तरह करें इलाज</a></strong></p>

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