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द‍िव्‍यांगों के ल‍िए नहीं कर सकेंगे इन शब्‍दों का प्रयोग, राजनीत‍िक दलों को ECI ने भेजी गाइडलाइन, 5 साल की सजा का प्रावधान

<p style="text-align: justify;"><strong>ECI On Derogatory Words For PwDs: </strong>भारत न&zwj;िर्वाचन आयोग (ECI) ने राजनीतिक दलों और उनके नेताओं से सार्वजनिक भाषणों में द&zwj;िव्&zwj;यांगों के लिए इस्&zwj;तेमाल होने वाले शब्&zwj;दों को लेकर गाइडलाइन जारी की है. आयोग ने सख्&zwj;त रूख अख्&zwj;त&zwj;ियार करते हुए सभी दलों को उनके ल&zwj;िए "अपमानजनक शब्दों" का इस्तेमाल नहीं करने के न&zwj;िर्देश द&zwj;िए हैं. साथ ही राजनीत&zwj;िक दलों को अपनी वेबसाइट, सोशल मीडिया, भाषण आदि को द&zwj;िव्&zwj;यांगों की पहुंच के ल&zwj;िए ज्&zwj;यादा सुलभ और सुगम बनाने को भी कहा है.&nbsp;</p> <p style="text-align: justify;">हिंदुस्तान टाइम्&zwj;स की र&zwj;िपोर्ट के मुताब&zwj;िक, ईसीआई ने राजनीत&zwj;िक दलों को यह भी स्&zwj;पष्&zwj;ट कर द&zwj;िया है क&zwj;ि अगर इन दिशानिर्देशों का उल्लंघन क&zwj;िया जाता है तो दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 की धारा 92 के तहत 5 साल तक की कैद हो सकती है.</p> <p style="text-align: justify;">ईसीआई ने अपमानजनक भाषा के सामान्य उदाहरण देते हुए कहा कि गूंगा, मंदबुद्धि, पागल, सिरफिरा, अंधा, काना, बहरा, लंगड़ा, लूला, अपाहिज आदि जैसे शब्दों का प्रयोग करने से बचना जरूरी है. इस तरह के शब्दार्थ का इस्तेमाल दिव्यांगजनों के अपमान के रूप में समझा जा सकता है.&nbsp;</p> <p style="text-align: justify;"><strong>सार्वजनिक भाषण, कैंपेन और दूसरी गतिविधियों को बनाएं सुलभ- ECI&nbsp;</strong></p> <p style="text-align: justify;">राजनीत&zwj;िक दलों को यह भी द&zwj;िशा न&zwj;िर्देश द&zwj;िया गया है कि वो सार्वजनिक भाषण, कैंपेन और अन्य दूसरी गतिविधियों को दिव्यांगजनों के लिए सुलभ बनाएं. इसी तरह उनकी वेबसाइट और सोशल मीडिया तक पहुंच भी सुलभ होनी चाहिए.<br />&nbsp;<br /><strong>कार्यकर्ताओं को द&zwj;िव्&zwj;यांगता पर ट्रेनिंग मॉड्यूल प्रदान करने का दिया निर्देश&nbsp;&nbsp;</strong></p> <p style="text-align: justify;">चुनाव आयोग ने कहा है कि पार्टियों को अपने कार्यकर्ताओं को द&zwj;िव्&zwj;यांगता पर एक ट्रेनिंग मॉड्यूल प्रदान करना चाह&zwj;िए. साथ ही द&zwj;िव्&zwj;यांगों की पार्टी कार्यकर्ताओं और सदस्यों के रूप में अधिक भागीदारी सुन&zwj;िश्&zwj;च&zwj;ित क&zwj;ी जानी चाहिए. दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के अनुसार, द&zwj;िव्&zwj;यांगता को संदर्भित करने के लिए उपयुक्त शब्दों में अंधापन, कम दृष्टि, बहरापन, लोकोमोटर द&zwj;िव्&zwj;यांगता, बौद्धिक द&zwj;िव्&zwj;यांगता आदि शामिल हैं.&nbsp;</p> <p style="text-align: justify;"><strong>चुनाव आयोग ने द&zwj;िव्&zwj;यांगजनों का सम्मान बढ़ाने को उठाया कदम&nbsp;</strong></p> <p style="text-align: justify;">ईसीआई की ओर से इस तरह के कदम को द&zwj;िव्&zwj;यांग व्यक्तियों के प्रति 'समावेशिता और सम्मान को बढ़ावा देने' के ल&zwj;िहाज से उठाया गया है. राजनीति&zwj;क दलों और उनके प्रतिनिधियों को यह भी निर्देश द&zwj;िया गया है कि वे द&zwj;िव्&zwj;यांगता या द&zwj;िव्&zwj;यांग व्यक्तियों से संबंधित शब्दों का उपयोग मानवीय अक्षमता के संदर्भ में या ऐसे तरीके से न करें जो 'अपमानजनक या रूढ़िवादिता को कायम रखने वाला' हो.&nbsp;</p> <p style="text-align: justify;"><strong>'द&zwj;िव्&zwj;यांगों के प्रत&zwj;ि मानवीय समानता, गरिमा और स्वायत्तता का सम्मान करें'</strong></p> <p style="text-align: justify;">चुनाव पैनल ने यह भी कहा कि राजनीत&zwj;िक पार्ट&zwj;ियां दिव्यांगों का जिक्र करते समय केवल अधिकार-आधारित शब्दावली का उपयोग कर सकती हैं जैसा कि द&zwj;िव्&zwj;यांग व्यक्तियों के अधिकारों पर कन्वेंशन में उल्&zwj;लेख क&zwj;िया गया है.</p> <p style="text-align: justify;">चुनाव आयोग ने कहा है कि सभी कैंपेन सामग्रियों को आंतरिक समीक्षा से गुजरना होगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनमें कोई सक्षमवादी या भेदभावपूर्ण भाषा का इस्तेमाल नहीं क&zwj;िया है. सभी दल इन गाइडलाइन का अनुपालन करते हुए द&zwj;िव्&zwj;यांगों के प्रत&zwj;ि मानवीय समानता, ह&zwj;िस्&zwj;सेदारी, गरिमा और स्वायत्तता का सम्मान करेंगे.&nbsp;</p> <p style="text-align: justify;"><strong>यह भी पढ़ें:<a title="जम्मू-कश्मीर के पुंछ में सेना के जवानों को ले जा रही 2 गाड़ियों पर आतंकी हमला, 3 सैनिक शहीद" href="https://ift.tt/8TdC3eo" target="_self">जम्मू-कश्मीर के पुंछ में सेना के जवानों को ले जा रही 2 गाड़ियों पर आतंकी हमला, 3 सैनिक शहीद</a></strong></p>

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