<p style="text-align: justify;"><strong>Scotland Gurudwara:</strong> ब्रिटिश नेताओं ने शनिवार (30 सितंबर) को उन कट्टरपंथियों की निंदा की, जिन्होंने भारतीय उच्चायुक्त विक्रम दोराईस्वामी को स्कॉटलैंड में एक गुरुद्वारे में जाने से रोका. भारत ने भी ब्रिटेन के अधिकारियों से इस घटना में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया. </p> <p style="text-align: justify;">मामले में स्कॉटलैंड पुलिस ने कहा कि उसे शुक्रवार को दोपहर 1:05 बजे (स्थानीय समय) के आसपास ग्लासगो के अल्बर्ट ड्राइव क्षेत्र में उपद्रव की एक रिपोर्ट मिली, जिसकी जांच की जा रही है. न्यूज एजेंसी एएनआई को एक ईमेल में स्कॉटलैंड पुलिस के प्रवक्ता ने कहा कि हमें ग्लासगो के अल्बर्ट ड्राइव क्षेत्र में हुए हंगामे की रिपोर्ट मिली थी. घटना में किसी के घायल होने की कोई जानकारी नहीं मिली. फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>कट्टरपंथियों ने की हाथापाई</strong><br />इससे पहले कट्टरपंथियों के एक समूह ने ग्लासगो के अल्बर्ट ड्राइव में गुरुद्वारा गुरु ग्रंथ साहिब की प्रबंधन समिति के सदस्यों के साथ हाथापाई की और दोराईस्वामी की कार का दरवाजा जबरन खोलने की कोशिश की. ऑनलाइन पोस्ट किए गए एक वीडियो में खालिस्तान समर्थकों ने अपनी हरकत को कनाडाई सरकार के उस आरोप से जोड़ा, जिसमें कनाडाई सरकार ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के लिए भारत सरकार के एजेंटों के शामिल होने का आरोप लगाया था. हालांकि, भारत ने कनाडा के आरोप को बेतुका बताते हुए खारिज कर दिया.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>भारतीय दूत को गुरुद्वारे में जाने से रोका</strong><br />मामले से परिचित लोगों ने कहा कि भारतीय दूत को गुरुद्वारा प्रबंधन ने आमंत्रित किया था, लेकिन कुछ कट्टरपंथी कार्यकर्ताओं ने उन्हें गुरुद्वारे में प्रवेश करने से रोकने की कोशिश की. किसी भी विवाद से बचने के लिए दोराईस्वामी घटनास्थल से तुरंत चले गए. इसके बाद ब्रिटिश पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और भारतीय पक्ष ने ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय को घटना की जानकारी दी.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>'विदेशी राजनयिकों की सुरक्षा अहम'</strong><br />यूके की इंडो-पैसिफिक मंत्री ऐनी मैरी ट्रेवेलियन ने इस घटना पर चिंता व्यक्त की और कहा कि विदेशी राजनयिकों की सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है. उन्होंने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, "यह देखकर चिंतित हूं कि भारतीय उच्चायुक्त दोराईस्वामी को ग्लासगो के गुरुद्वारे में गुरुद्वारा समिति के साथ बैठक करने से रोक दिया गया. विदेशी राजनयिकों की सुरक्षा बेहद महत्वपूर्ण है और यूके में हमारे पूजा स्थल सभी के लिए खुले होने चाहिए."</p> <p style="text-align: justify;"><strong>चरमपंथियों से निपटने के लिए उठाए जाएं कदम</strong><br />2019 में ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन द्वारा स्वतंत्र आस्था सहभागिता समीक्षा देने के लिए नियुक्त किए गए कॉलिन ब्लूम ने मामले में कहा कि ब्रिटिश सरकार को चरमपंथियों से निपटने के लिए और अधिक कदम उठाने की जरूरत है. </p> <p style="text-align: justify;">लेखक ब्लूम ने कहा कि उनकी रिपोर्ट, 'द ब्लूम रिव्यू' जो इस साल अप्रैल में प्रकाशित हुई थी. उसमें इस बात पर प्रकाश डाला कि ब्रिटिश सिखों में ज्यादातर लोग अद्भुत हैं. कुछ मुठ्ठे भर लोग पूरे समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं. उन्होंने कहा, "ब्रिटेन सरकार को इन चरमपंथी तत्वों से निपटने के लिए और अधिक प्रयास करने की जरूरत है."</p> <p style="text-align: justify;"><strong>दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का आग्रह</strong><br />लंदन में भारतीय उच्चायोग ने एक बयान में कहा कि उसने विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय (FCDO) और मेट्रोपॉलिटन पुलिस को इस शर्मनाक घटना की सूचना दी थी. बयान में कहा गया, "आयोजकों सहित कई सामुदायिक संगठनों ने औपचारिक रूप से घटना पर खेद व्यक्त किया है और अधिकारियों से दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया है."</p> <p style="text-align: justify;">भारतीय उच्चायोग के बयान के मुताबिक शुक्रवार (30 सितंबर) को हुई इस घटना में तीन लोग शामिल थे, "सभी स्कॉटलैंड के बाहर से आए थे. उन्होंने गुरुद्वारा समिति, उच्चायुक्त और भारत के महावाणिज्य दूत द्वारा आयोजित बातचीत को जानबूझकर बाधित किया."</p> <p style="text-align: justify;"><strong>यह भी पढ़ें- <a title="मणिपुर हिंसा की आड़ में विदेशी धरती से भारत के खिलाफ आतंकी साजिश मामले में एनआईए का शिकंजा, दबोचा एक संदिग्ध" href="https://ift.tt/NbPAWE8" target="_self">मणिपुर हिंसा की आड़ में विदेशी धरती से भारत के खिलाफ आतंकी साजिश मामले में एनआईए का शिकंजा, दबोचा एक संदिग्ध</a></strong></p>
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