<p style="text-align: justify;"><strong>Supreme Court On Judges Appointments:</strong>&nbsp;सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (26 सितंबर) को न्यायाधीशों की नियुक्ति में देरी पर निराशा जाहिर करते हुए कहा कि कॉलेजियम की 70 सिफारिशें बीते नवंबर से अब तक सरकार के पास अटकी हुई हैं और अटॉर्नी जनरल से इस मुद्दे को हल करने के लिए उनके कार्यालय का उपयोग करने को कहा.</p> <p style="text-align: justify;">जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ की ओर से मामला उठाए जाने के बाद अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने हाई कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए लंबित सिफारिशों पर निर्देश लेने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>'आज मैं चुप हूं, क्योंकि...'</strong><br />सुनवाई के दौरान जस्टिस कौल ने वेंकटरमणी को बताया, &ldquo;आज मैं चुप हूं, क्योंकि अटॉर्नी जनरल ने बहुत कम समय मांगा है, अगली बार मैं चुप नहीं रहूंगा. इन मुद्दों का समाधान देखने के लिए अपने कार्यालय का उपयोग करें.&rdquo; वेंकटरमणी के निर्देश के लिए एक हफ्ते का समय मांगने पर जस्टिस कौल ने कहा, &ldquo;मैंने बहुत कुछ कहने के बारे में सोचा था, लेकिन अटॉर्नी जनरल क्योंकि केवल सात दिन का समय मांग रहे हैं, इसलिए मैं खुद को रोक रहा हूं.&rdquo;</p> <p style="text-align: justify;">जस्टिस कौल ने कहा कि न्यायपालिका सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को लाने की कोशिश करती है, लेकिन लंबित मामलों के कारण जिन वकीलों के नाम न्यायाधीश बनाने के लिए अनुशंसित किए गए थे, उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से अच्छे उम्मीदवार न्यायाधीश बनने के लिए अपनी सहमति वापस लेते हैं, वह &ldquo;वास्तव में चिंताजनक&rdquo; है. उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत नियमित अंतराल पर नियुक्ति प्रक्रिया की निगरानी करेगी.</p> <p style="text-align: justify;">कॉलेजियम प्रणाली के माध्यम से न्यायाधीशों की नियुक्ति अतीत में सुप्रीम कोर्ट और केंद्र के बीच टकराव की प्रमुख वजह बन गई है और इस तंत्र की विभिन्न क्षेत्रों से आलोचना हो रही है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>'70 सिफारिशें लंबित हैं'</strong><br />पीठ ने कहा, &ldquo;पिछले सप्ताह तक 80 सिफारिशें लंबित थीं, जब 10 नामों को मंजूरी दी गई. अब, यह आंकड़ा 70 है, जिनमें से 26 सिफारिशें न्यायाधीशों के स्थानांतरण की हैं, सात सिफारिशें दोहराई गई हैं, नौ कॉलेजियम को वापस किए बिना लंबित हैं और एक मामला संवेदनशील हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस की नियुक्ति का है.&rdquo; सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये सभी सिफारिशें पिछले साल नवंबर से लंबित हैं.</p> <p style="text-align: justify;">जस्टिस कौल ने कहा कि लंबित सिफारिशों पर कोई ठोस कार्रवाई सात महीनों से नहीं हुई है और मामूली प्रक्रियागत कदम उठाने से यह काम हो जाते हैं. सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति को देखने वाले उच्चतम न्यायालय का हिस्सा जस्टिस कौल ने कहा, &ldquo;हमने चीजों को आगे बढ़ाने और बारीकी से निगरानी करने का प्रयास किया है. मैंने अटॉर्नी जनरल से कहा है कि हर 10-12 दिन में यह मामला उठाया जाएगा, ताकि मेरे पद छोड़ने (25 दिसंबर) से पहले पर्याप्त काम हो जाए.&rdquo;</p> <p style="text-align: justify;"><strong>केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय के खिलाफ कार्रवाई की मांग</strong><br />शीर्ष अदालत बेंगलुरु के एडवोकेट्स एसोसिएशन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें 2021 के फैसले में अदालत की ओर से निर्धारित समय-सीमा का कथित तौर पर पालन नहीं करने के लिए केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय के खिलाफ अवमानना ​​कार्रवाई की मांग की गई थी. सुनवाई के दौरान एक अन्य याचिकाकर्ता एनजीओ &lsquo;कॉमन कॉज&rsquo; की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने सरकार के पास लंबित सिफारिशों से संबंधित एक चार्ट प्रस्तुत किया.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>'सिफारिशें लंबित होने से नाम वापस ले लिए गए'</strong><br />उन्होंने कहा कि इससे भी अधिक चिंताजनक बात यह है कि एक समय में कॉलेजियम की ओर से नामों के एक बैच की सिफारिश किए जाने के बाद भी सरकार इसे अलग कर देती है और चुनिंदा नियुक्तियां करती है. उन्होंने कहा, &ldquo;इससे वकीलों का मनोबल प्रभावित होता है और मेरी जानकारी के अनुसार, उनमें से कई ने अपनी सहमति वापस ले ली है.&rdquo; जस्टिस कौल ने भूषण के विचारों से सहमति जताते हुए कहा कि नौ ऐसे नाम हैं, जहां सरकार ने नामों को वापस न करके लंबित रखा है.</p> <p style="text-align: justify;">जस्टिस कौल ने इस मामले में आगे की सुनवाई नौ अक्टूबर को निर्धारित करते हुए कहा, &ldquo;इस बात से सहमत हूं कि जिस तरह से अच्छे उम्मीदवार न्यायाधीश बनने के लिए अपनी सहमति वापस लेते हैं वह वाकई चिंताजनक है. हम सर्वोत्तम प्रतिभाओं को लाने का प्रयास करते हैं, लेकिन मामला लंबित होने के कारण जिन वकीलों के नाम न्यायाधीश बनाने के लिए अनुशंसित किए गए थे, उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया है.&rdquo;</p> <p style="text-align: justify;"><strong>ये भी पढ़ें:</strong></p> <p style="text-align: justify;"><strong><a href="https://www.abplive.com/news/india/s-jaishankar-speech-un-general-assembly-pakistan-canada-china-says-political-convenience-can-not-determines-responses-to-terrorism-2502405">'आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई में...', UNGA में एस जयशंकर ने चीन को लताड़ा, कनाडा विवाद की तरफ भी इशारा</a></strong></p>

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