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AIMPLB On UCC: यनफरम सवल कड पर कय ह ऑल इडय मसलम परसनल ल बरड क रख महसचव न बतय

<p style="text-align: justify;"><strong>AIMPLB Against UCC: </strong>समान नागरिकता संहिता कानून को लेकर हलचल तेज हो गई है. इसको लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के महासचिव मौलाना मुहम्मद फ़ज़ल-उर-रहीम मुजद्दिदी साहब ने अपने कहा है कि देश में मुस्लिम पर्सनल लॉ की सुरक्षा और इसे प्रभावित करने वाले किसी भी क़ानून को रोकना बोर्ड के मुख्य उद्देश्यों में से है. इसलिए बोर्ड अपनी स्थापना से ही समान नागरिक संहिता का विरोध करता रहा है.</p> <p style="text-align: justify;">उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यवश सरकार और सरकारी संगठन ​​इस मुद्दे को बार-बार उठाते हैं. भारत के विधि आयोग ने 2018 में भी इस विषय पर राय मांगी थी, बोर्ड ने एक विस्तृत और तर्कसंगत जवाब दाखिल किया था, जिसमें बताया गया था कि समान नागरिक संहिता संविधान की भावना के विरुद्ध है और देशहित में भी नहीं है. &nbsp;बल्कि इससे नुक़सान होने का डर है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>क्या बोले मौलाना मुहम्मद फ़ज़ल-उर-रहीम मुजद्दिदी साहब</strong></p> <p style="text-align: justify;">मौलाना ने कहा, &ldquo;मैं समान नागरिक संहिता पर कड़ी आपत्ति करता हूं, यह हमारे देश की बहुलवादी संरचना और विविधता को जर्जर करेगा और संविधान में दी गई धार्मिक स्वतंत्रता के विपरीत होगा. इससे देश को कोई लाभ नहीं होगा, बल्कि राष्ट्रीय एकता को हानि पहुंचेगी. इसलिए समान नागरिक संहिता बिल्कुल लागू नहीं की जाना चाहिए और संविधान के दिशानिर्देशों के अनुच्छेद-44 को हटा देना ही उचित है.&rdquo;</p> <p style="text-align: justify;">मौलाना ने आगे कहा कि इसके बाद घोषणा कर दी कि फ़िलहाल समान नागरिक संहिता की कोई आवश्यकता नहीं है लेकिन दुर्भाग्य से विधि आयोग ने 14 जून 2023 को फिर जनता को एक नोटिस जारी कर समान नागरिक संहिता के संबंध में राय मांगी है और जवाब दाखिल करने के लिए 14 जुलाई 2023 तक का समय निर्धारित किया है.</p> <p style="text-align: justify;">बयान में आगे कहा गया कि बोर्ड इस संबंध में शुरू से ही सक्रिय है, बोर्ड ने आयोग को पत्र लिखकर इस बात पर नाराज़गी जताई है कि इतने महत्वपूर्ण मुद्दे के लिए केवल एक माह की अवधि निर्धारित की गयी है. &nbsp;इसलिए इस अवधि को कम से कम 6 महीने तक बढ़ाया जाना चाहिए. इसके साथ ही बोर्ड ने अपना जवाब दाखिल करने के लिए देश के प्रसिद्ध और विशेषज्ञ न्यायविदों से परामर्श करके एक विस्तृत जवाब भी तैयार किया है.</p> <p style="text-align: justify;">जिसमें समान नागरिक संहिता के सभी पहलुओं को स्पष्ट किया गया है और देश की एकता और लोकतांत्रिक ढांचे को होने वाले संभावित नुक़सान को प्रस्तुत किया गया है. इसके साथ ही विधि आयोग की वेबसाइट पर जवाब दाखिल करने और समान नागरिक संहिता के विरुद्ध अपना दृष्टिकोण दिखाने के लिए एक संक्षिप्त नोट भी तैयार किया गया है.</p> <p style="text-align: justify;">महासचिव ने अपने बयान में यह भी कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का एक प्रतिनिधिमंडल जल्द ही विधि आयोग के अध्यक्ष से व्यक्तिगत रूप से मुलाक़ात करेंगे और स्थिति स्पष्ट करने का प्रयास करेंगे.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>ये भी पढ़ें: <a title="UCC: यूनिफॉर्म सिविल कोड पर क्या है जमीयत उलेमा-ए-हिंद का रुख? मौलाना अरशद मदनी ने बताया" href="https://ift.tt/23UgAEz" target="_self">UCC: यूनिफॉर्म सिविल कोड पर क्या है जमीयत उलेमा-ए-हिंद का रुख? मौलाना अरशद मदनी ने बताया</a></strong></p>

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