<p style="text-align: justify;"><strong>The Kerala Story Of Conversion Victim:</strong> हिंदू और ईसाई धर्म से ताल्लुक रखने वाली 32 हजार लड़कियों के कथित धर्मांतरण पर आधारित फिल्म 'द केरलास्टोरी' शुक्रवार 5 मई को सिनेमाघरों में रिलीज होगी. फिल्म का ट्रेलर आने के बाद से ही इस पर विवाद छिड़ा है. एक धड़ा इस फिल्म पर बैन लगाने की मांग कर रहा है.</p> <p style="text-align: justify;">केरल हाई कोर्ट में फिल्म पर बैन संबंधी याचिका पर जल्द सुनवाई न होने पर एक अर्जी सुप्रीम कोर्ट भी पहुंची. सुप्रीम कोर्ट में ये अर्जी जमीयत उलेमा-ए-हिंद नेर की, इसे शीर्ष अदालत ने नकार दिया. फिल्म पर राजनीतिक बयानबाजी भी हुई है. केरल के सीएम पिनराई विजयन और कांग्रेस समेत कुछ दलों ने फिल्म की निंदा की है तो बीजेपी इसके समर्थन में है. </p> <p style="text-align: justify;">आरोप लगाया जा रहा है कि सांप्रदायिक ताने-बाने और सौहार्दपूर्ण माहौल को खराब करने के उद्देश्य से इस फिल्म को बनाया गया है. फिल्म पर विवाद की पृष्ठभूमि में एबीपी न्यूज ने केरल में धर्मांतरण की कुछ पीड़ितों से बातचीत की है. एबीपी न्यूज की रिपोर्टर निधि श्री और कैमरापर्सन अजी चाको ने दिल्ली से केरल पहुंचकर पीड़ितों से बात की.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>श्रुति से रहमत बनी लड़की ने सुनाई आपबीती</strong> </p> <p style="text-align: justify;">तिरुवनंतपुरम में चलने वाली 'आर्शा विद्या समाजम' नामक संस्था में धर्मांतरण पीड़ित लड़कियों को आध्यात्मिक क्लास दी जाती है. पीड़ितों में शामिल श्रुति नामक लड़की ने एबीपी न्यूज को अपनी आपबीती बताई. धर्मांतरण के चलते श्रुति का नाम रहमत कर दिया गया था. फिल्म द केरला स्टोरी से श्रुति की कहानी काफी मैच खाती है. </p> <p style="text-align: justify;">[yt]https://www.youtube.com/watch?v=t5kWuam_2IQ[/yt]</p> <p style="text-align: justify;">श्रुति ने बताया कि वह दुनिया को अपनी आपबीती सुनना चाहती हैं. उन्होंने कहा, ''मैं केरल के कासरगोड की रहने वाली हूं. एक ब्राह्मण परिवार में पैदा हुई थी. हिंदू होकर ही जीते थे. ग्रैजुएशन होते ही मेरी क्लासमेट्स ज्यादातर मुस्लिम थीं. उन लोगों से इस्लाम को लेकर मैं प्रभावित हो गई. इस्लाम के बारे में वो ज्यादा से ज्यादा फीड कर रहे थे मुझे.''</p> <p style="text-align: justify;"><strong>'वो मुझसे मेरे धर्म के बारे में सवाल पूछते थे'</strong></p> <p style="text-align: justify;">श्रुति ने कहा, ''पहले वो लोग मुझसे मेरे धर्म के बारे में सवाल पूछते थे. हिंदू धर्म के बारे में. बहुत ज्यादा सवाल पूछ रहे थे. उन सवालों का जवाब मुझे मालूम नहीं था. उतनी जानकारी भी नहीं थी. जो मैं टीवी पर देख रही थी कि ओम नम: शिवाय या जय हनुमान.. जो टेली सीरियल्स होते थे, उनमें से मुझे कुछ पता चलता था. उसे लेकर जवाब देती थी. ज्यादा सवाल होते तो मैं जवाब नहीं दे पाती थी. उस अज्ञानता का मेरी क्लासमेट्स ने बहुत अच्छी तरह से फायदा उठाया और फिर अपने धर्म के बारे में बहुत अच्छे से इंटरप्रेट करना शुरू कर दिया.''</p> <p style="text-align: justify;">श्रुति ने कहा, ''वो कहती थीं कि परदा सिस्टम लड़कियों की सुरक्षा के लिए है तो इस तरह अगर कोई भी उनकी बात सुनता था तो उन्हें लगता था कि ये तो सही बात है, ये सही विचारधारा है, ईश्वर की सही अवधारणा है. जीने का सही तरीका है. इस तरह से वो एक्सप्लेन करते थे. इंटरप्रेट करते थे तो मुझे पहली बार उसमें दिलचस्पी शुरू हो गई. सुनने में अच्छा लगने लगा. इस तरह वो अपने धर्म के बारे में सिखाते थे.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>'त्योहार की व्याख्या गलत तरीके से करते थे'</strong></p> <p style="text-align: justify;">हिंदुओं के त्योहार का मजाक उड़ाने के सवाल पर श्रुति ने कहा, ''हां ऐसा हुआ है. मेरे क्लासमेट... मेरे मुस्लिम दोस्त बोलते थे, जिन्होंने मुझे प्रभावित किया. वो बोलते थे कि लड़की और लड़के के मिलने के लिए आप लोग त्योहार मना रहे हैं. मंदिर में त्योहार मनाया जाता है और वहां स्त्री-पुरुष दोनों होते हैं. उन्होंने कहा कि हमारी ऐसी कोई संस्कृति नहीं है. हमारे यहां लड़की अलग बैठती है, लड़के अलग बैठते हैं. वो हमारे त्योहार के बारे में इस तरह समझाते थे कि वहां पुरुष... महिलाओं का फायदा उठाते थे. उनका कहना था कि बैड टच और मेल जोल बढ़ाने के लिए त्योहार होता है. वो त्योहार की व्याख्या गलत तरीके से करते थे. वो गलत तरीके से सोच रहे थे तो हमें भी लगा कि क्या वाकई ऐसा है क्या? क्योंकि हमें जानकारी नहीं थी. हमें उसके तथ्य नहीं मालूम थे.''</p> <p style="text-align: justify;"><strong>'जाकिर नायक की स्पीच सुना करती थी'</strong></p> <p style="text-align: justify;">श्रुति ने कहा, ''वो मुझे पर्चे देने लगे. किताब-सीडी देने लगे. जाकिर नायक की स्पीच, उसे मैं सुना करती थी. केरलाके नौशाद, केरल के इस्लामिक धर्मगुरु, उनके भाषण में सुनने लगी, सुनती थीं.''</p> <p style="text-align: justify;">उन्होंने कहा, ''एक आदत सी हो गई थी. जैसे लोगों को लत हो जाती है. बहुत ज्यादा जानकारी वहां से मिल रही थी. मैंने हिंदू धर्म और ईसाई धर्म के बारे में भी जानकारी जुटानी चाही लेकिन मैं कन्फ्यूज थी और मुझे नहीं पता था कि आखिर मुझे किससे सीखना चाहिए. इसलिए मैं इंटरनेट पर चीजें सर्च करने लगी. कई अलग-अलग साइट थी. अलग अलग थीसिस थी. कन्फ्यूजन ज्यादा था.'' श्रुति ने बताया कि उनके साथ ये सबकुछ 2013 में हो रहा था. उस वक्त वह पढ़ाई कर रही थी. गौरतलब है कि उस वक्त जाकिर नाइक भगोड़ा घोषित नहीं हुआ था. उसकी स्पीच वायरल होती थीं. </p> <p style="text-align: justify;"><strong>'...फिर नमाज पढ़ना शुरू कर दिया'</strong></p> <p style="text-align: justify;">जाकिर नाइक के साहित्य के बारे में सवाल पूछने पर श्रुति ने बताया, ''इसमें लिखा होता था कि इस्लाम ही पूरी दुनिया में एक सही धर्म है. अल्लाह ही इकलौता ईश्वर है और बाकी सारे भगवान पापी हैं. ऐसा कहते थे. ये कहते थे कि अगर दूसरे भगवान खुद की रक्षा नहीं कर पाते तो फिर हम उनकी पूजा क्यों करें और ये कुरान में भी लिखा हुआ है. 99वें चैप्टर में ऐसा लिखा हुआ है. आप क्यों दूसरे भगवानों की पूजा करते हो, वो नरक में जल रहे हैं तो फिर क्यों उन्हें पूज रहे हो तो मुझे लगता था कि मुझे अल्लाह और दूसरे भगवानों का अंतर पता नहीं था. ऐसा सोचती थी कि अल्लाह एक ही है और दूसरे भगवान अगर नरक में जल जाएंगे तो उनकी पूजा करने से क्या फायदा. इस तरह सोचना शुरू किया मैंने... इसलिए अल्लाह की ही इबादत करनी है. ऐसा दिमाग हो गया कि सबकुछ अल्लाह ही है, बाकी कोई और भगवान नहीं है. फिर नमाज पढ़ना शुरू कर दिया. रोजा रखने लगी.''</p> <p style="text-align: justify;"><strong>'मां पर उठा दिया था हाथ'</strong></p> <p style="text-align: justify;">श्रुति ने बताया कि वो इतनी बहक गई थीं कि एक दिन नमाज के लिए जाते वक्त जब मां फल लेकर खिलाने आयीं तो उन पर भी हाथ उठा दिया था. उन्होंने कहा, ''मैंने एक बार अपनी मां को पीटा, सिर्फ इसलिए क्योंकि वो काफिर थीं क्योंकि मैं नमाज के लिए जाने वाली थी. मां मेरी पसंद का खाना लेकर आई थीं. उन्होंने बड़े प्यार से खुद बनाया था लेकिन नमाज के चलते मैं छू नहीं सकती थी. उन्हें फिर कहा और तब मुझे उनका व्यवहार पसंद नहीं आया क्योंकि नमाज का वक्त था. इसलिए मैंने उन्हें मारा. पेट पर मारा. जहां उन्होंने मुझे नौ महीने रखा था. सोचिए, मेरा कितना ब्रेन वॉश हो चुका था. ये सालों पहले हुआ था लेकिन उसका दर्द अभी तक होता है.''</p> <p style="text-align: justify;"><strong>क्या ISIS में शामिल होने का दबाव बनाया गया था?</strong></p> <p style="text-align: justify;">क्या उस दौरान ISIS में शामिल होने का दबाव भी बनाया गया था? इस सवाल पर श्रुति ने कहा कि उस दौरान सिर्फ कनवर्जन हुआ. ISIS की बात नहीं थी लेकिन इतना जरूर है कि तब भारत को लेकर, हिंदू धर्म को लेकर बेहद जहरीली सोच उजागर हो रही थी. उन्होंने कहा, ''मुझे आतंकी संगठन ज्वाइन करने को नहीं भेजा लेकिन ऐसी क्लास मिल रही थी कि भारत हमारा राष्ट्र नहीं है, ये काफिरों का देश है, हमें इन्हें इस्लाम में लाना है. हमारा राष्ट्र वो है जहां पैगंबर मोहम्मद पैदा हुए. खाड़ी देश हमारा राष्ट्र है. ये भारत हमारा राष्ट्र नहीं, ऐसा सिखाते थे. हिंदू कल्चर और भारत के बारे में इतना बुरा सिखाते थे कि मेरी नफरत और बढ़ गई. मुझे ऐसा लगने लगा कि अगर मेरे घरवालों ने मुझे एक्सेप्ट नहीं किया तो एक बार मैं देश छोड़कर वहां जाऊंगी. ऐसा लगने लगा था. इतना जहर दिमाग में भर रहा था.'' श्रुति के मुताबिक, वह एक टीचर भी थीं और बच्चों को पढ़ाती थीं.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>ये भी पढ़ें- <a title="ABP CVoter Survey: बजरंग दल पर बैन का वादा करने से कांग्रेस को नुकसान या फायदा? सर्वे में लोगों ने चौंकाया" href="https://ift.tt/bV14cjr" target="_blank" rel="noopener">ABP CVoter Survey: बजरंग दल पर बैन का वादा करने से कांग्रेस को नुकसान या फायदा? सर्वे में लोगों ने चौंकाया</a></strong></p>
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