<p style="text-align: justify;"><strong>Delhi Serial Killer: </strong>दिल्ली के सीरियल किलर और रेप के दोषी रविंद्र कुमार को गुरुवार (25 मई) को दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई. 32 साल के रविंद्र को इसी महीने की 6 तारीख को रोहिणी कोर्ट ने दोषी करार दिया था. रविंद्र पर आरोप है कि साल 2008 से लेकर साल 2015 तक उसने 30 बच्चियों के साथ घिनौनी वारदात को अंजाम देकर उनकी हत्या कर दी थी. </p> <p style="text-align: justify;">रविंद्र को साल 2015 में बच्चों के साथ घिनौना अपराध करने और उनकी हत्या करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. उसने तब पुलिस को बताया था कि उसने पहली बार 19 साल की उम्र में अपराध किया था. कोर्ट ने आरोपी को पॉक्सो एक्ट और भारतीय दंड संहिता की धारा 376ए और 302 के तहत दोषी करार दिया था. हालांकि उसने कथित तौर पर 30 से ज्यादा बच्चियों की हत्या और बलात्कार किया है, लेकिन कोर्ट ने उसे 6 साल की बच्ची के अपहरण, यौन उत्पीड़न और हत्या के लिए सजा सुनाई. </p> <p style="text-align: justify;"><strong>'शिकारी की हरकत से कम नहीं ये अपराध' </strong></p> <p style="text-align: justify;">असिस्टेंट सेशन जज सुनील कुमार ने कहा, "अपराध दुर्लभ से दुर्लभतम की श्रेणी में नहीं आता है, लेकिन दोषी का अपराध इतना अमानवीय था कि वह कोर्ट से किसी भी तरह की दया या सहानुभूति के लायक नहीं है. ये अपराध किसी 'शिकारी की हरकत' से कम नहीं है और इसने समाज की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है." </p> <p style="text-align: justify;"><strong>कोर्ट में क्या कुछ कहा गया?</strong></p> <p style="text-align: justify;">जज ने कहा, "बच्ची से यह उम्मीद नहीं की जा सकती है कि वह दोषी को उसका यौन उत्पीड़न करने और उसे मारने के लिए उकसाएगी. दोषी ने हैवानियत के साथ बलात्कार और हत्या की." जज ने सबूतों को ध्यान में रखते हुए कहा, "अपराध स्थल पर संघर्ष के बहुत सारे संकेत थे, जिससे पता चलता है कि पीड़ित ने रविंद्र का विरोध किया था, लेकिन दोषी एक राक्षस की तरह बन गया था और उसने निर्दोष लड़की के प्रति थोड़ी सी भी दया और मानवता नहीं दिखाई."</p> <p style="text-align: justify;"><strong>ये भी पढ़ें: </strong></p> <p style="text-align: justify;"><strong><a title="Court News: 'जीवनसाथी को लंबे समय तक शारीरिक संबंध न बनाने देना मानसिक क्रूरता', इलाहाबाद हाई कोर्ट की टिप्पणी" href="https://ift.tt/kZ3FsYc" target="_self">Court News: 'जीवनसाथी को लंबे समय तक शारीरिक संबंध न बनाने देना मानसिक क्रूरता', इलाहाबाद हाई कोर्ट की टिप्पणी</a></strong></p>
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