<p style="text-align: justify;"><strong>Doda Land Sinking:</strong> जम्मू कश्मीर के डोडा स्थित नई बस्ती गांव में हालात जोशीमठ में जैसे हो गए हैं. भूधंसाव की वजह से अब तक 22 घरों को नुकसान पहुंचा है और करीब 300 लोग विस्थापित हुए हैं. इन लोगों का मानना है कि वो शैतान और गहरे समुद्र के बीच बुरी तरह से फंस गए हैं. नई बस्ती के ग्रामीणों ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और प्रशासन से उनके पुनर्वास की अपील की है.</p> <p style="text-align: justify;">नई बस्ती की निवासी 38 वर्षीय शाजिय बेगम ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया, "मैं गांव नहीं छोड़ना चाहती हूं. अब हम कहां जाएंगे? हम बर्बाद हो गए हैं... हमने छोटे-मोटे मजदूरों के रूप में काम किया और अपने बच्चों के लिए एक घर बनाया. हम सरकार से अपील करते हैं कि हमारे लिए कुछ करें. मेरा एक विकलांग बच्चा है. अब हम कहां जाएं?"</p> <p style="text-align: justify;"><strong>'कई घर इसकी चपेट में आ गए'</strong></p> <p style="text-align: justify;">40 वर्षीय मोहम्मद अकरम ने बताया कि पिछले साल दिसंबर के आसपास करीब छह से सात घरों में दरारें पड़नी शुरू हो गई थीं. उन्होंने कहा, "हमने इसे हल्के में लिया, क्योंकि पहाड़ी इलाकों में मध्यम भूकंप और पानी के कारण घरों में मामूली दरारें आ जाती हैं. हमने उन्हें ढकने के लिए सफेद सीमेंट लगाया, लेकिन एक हफ्ते पहले ये दरारें और चौड़ी होने लगी, देखते ही देखते कई घर इसकी चपेट में आ गए और जमीन भी धंसने लगी."</p> <p style="text-align: justify;"><strong>आकंतवादियों से बचने के लिए आए थे डोडा</strong></p> <p style="text-align: justify;">अकरम ने बताया कि आतंकवादियों से बचने के लिए कई परिवार डोडा के ऊपरी इलाकों में बसे हुए हैं. उन्होंने कहा, "हम 1990 के दशक में डोडा के ऊपरी इलाकों में उग्रवाद के कारण यहां आए थे. मेरे पिता के भाई को आतंकवादियों ने मार डाला था. हमने यहां आकर एक छोटा सा घर बनाया, लेकिन अब सब कुछ जर्जर हो चुका है. मैं एक मजदूर हूं और रोजाना 300 रुपये कमाता हूं... मैं सरकार से अनुरोध करता हूं कि हमें हमारे घरों के निर्माण और हमारे जीवन के पुनर्निर्माण के लिए हमें पांच मरला प्लॉट और मुआवजा दें."</p> <p style="text-align: justify;"><strong>'घरों से खिड़की के शीशे और दरवाजे हटा रहे हैं'</strong></p> <p style="text-align: justify;">नई बस्ती गांव के 22 वर्षीय युवक ओवैस ने कहा, "हम जोशीमठ जैसे संकट से डरते हैं. हम दिन-रात प्रार्थना कर रहे हैं कि भूधंसाव आगे न फैले. हममें से कुछ लोग अपने घरों से कुछ बचाने के लिए खिड़की के शीशे और दरवाजे हटा रहे हैं, क्योंकि यहां के लोग बहुत गरीब हैं और यहां डोडा में लकड़ी महंगी है." बता दें कि प्रशासन ने अभी तक प्रभावित परिवारों को किसी प्रकार के मुआवजे की घोषणा नहीं की है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>ये भी पढ़ें- <a title="Assam Child Marriage: असम में बाल विवाह को लेकर हो रही गिरफ्तारी के बीच महिला ने की आत्महत्या, ये है कारण" href="https://ift.tt/Rg2jJIA" target="_self">Assam Child Marriage: असम में बाल विवाह को लेकर हो रही गिरफ्तारी के बीच महिला ने की आत्महत्या, ये है कारण</a></strong></p>
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