<p>जूलॉजिस्ट और डिपार्टमेंट ऑफ फॉरेस्ट्री के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक जोशीमठ टूटे हुए पहाड़ों के जिस मलबे पर बसा है वह तेजी धंस रहा है. जूलॉजिस्ट कहते हैं कि अब इसे रोकना संभव नहीं दिख रहा है. उत्तराखंड के डिपार्टमेंट ऑफ फॉरेस्ट्री का मानना है कि स्थिति काफी गंभीर हो चुकी है और यहां 50 से अधिक घर एक साथ भी ध्वस्त हो सकते हैं. यही कारण है कि अब यहां लोगों को स्थानांतरितकरने के काम को पहली प्राथमिकता दी जा रही है.</p>
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