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Mohan Bhagwat Speech : 'बूचड़खाने के कारण पानी की खपत बढ़ती है', उज्जैन में बोले मोहन भागवत

<p style="text-align: justify;"><strong>Mohan Bhagwat MP Visit:</strong> राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने बुधवार को मध्य प्रदेश के उज्जैन (28 दिसंबर) को लोगों से जल संरक्षण की अपील करते हुए कहा कि बूचड़खानों और इससे जुड़े उद्योगों के कारण पानी की खपत बढ़ती है और प्रदूषण भी होता है.</p> <p style="text-align: justify;">मोहन भागवत ने दीनदयाल शोध संस्थान और मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद के जल संरक्षण पर आयोजित सम्मेलन 'सुजलाम' में यह बात कही. भागवत ने कहा, &lsquo;&lsquo;वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह माना जाता है कि शाकाहारी होना अच्छा है. मांसाहार से पानी की खपत बढ़ती है, लेकिन अब उसका उद्योग हो गया, कत्लखाने हो गए, उसमें जो प्रक्रियाएं चलती हैं उनमें तो अनाप-शनाप पानी खर्चा होता है. प्रदूषण भी बढ़ता है.&rsquo;&rsquo;</p> <p style="text-align: justify;"><strong>'क्या बदलने में समय लगता है'</strong></p> <p style="text-align: justify;">मोहन भागवत ने कहा कि हालांकि, इसमें किसी का दोष नहीं, लेकिन इससे खुद को दूर रखना पड़ेगा यानी जिनके मांसाहार उद्योग हैं, वे तो आखिर में मानेंगे. उन्होंने कहा कि वे तभी मानेंगे, जब उनकी बनाया हुआ मीट खपेगा ही नहीं और यह तभी होगा जब कोई मांसाहार करेगा ही नहीं. उन्होंने यह भी कहा कि आदतों को बदलने में समय लगता है. भागवत ने कहा कि खाने की बात किसी पर लादी नहीं जा सकती क्योंकि धीरे-धीरे मन बदलता है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>कब लोग मांस नहीं खाते&nbsp;</strong></p> <p style="text-align: justify;">आरएसएस संरसंघचालक मोहन भागवत ने यह भी कहा कि भारत में मांसाहार करने वाले लोग संयम में रह कर ही मांसाहार करते हैं. उनका कहना था कि कई लोग श्रावण मास में और गुरुवार को मांसाहार नहीं करते. उन्होंने कहा,&lsquo;&lsquo; हमें किसी भी तरह जल का अनादर नहीं करना चाहिए. हमारी प्रकृति का सम्मान हो और इसकी सदैव पूजा की जाना चाहिए. जल का विषय गंभीर है और हमें इस बात की प्रमाणिकता से लोगों को अवगत कराना होगा.&rsquo;&rsquo;</p> <p style="text-align: justify;"><strong>क्या उपाय करने होंगे?&nbsp;</strong></p> <p style="text-align: justify;">भागवत ने कहा कि अपनी-अपनी शक्ति के अनुसार पंच महाभूतों पर अलग-अलग स्थानों पर कार्य करना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति एकात्मवादी है. उन्होंने कहा कि देश में जल के संकट होने से विचार-विमर्श करने के लिए संगोष्ठियां आयोजित की जा रही है. उन्होंने कहा, &lsquo;&lsquo;इस संकट से उबरने के लिए हमें अपने-अपने स्तर से उपाय ढूंढना जरूरी है.&rsquo;&rsquo;</p> <p style="text-align: justify;"><strong>किस पर जोर देना जरूरी है</strong></p> <p style="text-align: justify;">भागवत ने कहा कि मनुष्य द्वारा प्रकृति पर विजय पाने की कोशिश करते रहने से पंच महाभूतों पर संकट आने लगा है. उन्होंने कहा, &lsquo;&lsquo;मनुष्य में अहंकार नहीं आना चाहिए. हमें पहले अपने आप में शुद्ध होकर प्रकृति को बचाने की हर प्रकार से कोशिश करना चाहिए. चाहे हमारी खेती के धंधे की पद्धति में बदलाव ही क्यों न करना पड़े. हमें अधिक से अधिक जैविक खेती करने की आवश्यकता है.&rsquo;&rsquo; उन्होंने कहा कि पानी की खपत कैसे कम हो, कम पानी में हमारा काम हो, इस पर जोर देना जरूरी है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>यह भी पढ़ें- <a title="RSS Shakha In Every Village: 'देश के हर गांव में हो RSS की शाखा', ऐसा क्यों बोले संघ प्रमुख मोहन भागवत" href="https://ift.tt/o3pOb0V" target="_self">RSS Shakha In Every Village: 'देश के हर गांव में हो RSS की शाखा', ऐसा क्यों बोले संघ प्रमुख मोहन भागवत</a></strong></p>

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