<p style="text-align: justify;"><strong>India China News:</strong> चीन एक तरफ तो मिलिट्री ऑपरेशन्स के जरिए ताइवान (Taiwan) को हड़पने की तैयारी में जुटा है तो दूसरी तरफ कई देशों को कर्ज तले दबाकर अपना दबदबा बढ़ाने की फिराक में है. श्रीलंका (Sri Lanka) को लोन और इंफ्रास्ट्रकचर के नाम पर डुबाने के बाद अब पाकिस्तान (Pakistan) की बारी है. खबर है कि सीपैक (CPEC) प्रोजेक्ट फेल होने के बाद चीन (China) अब पाकिस्तानी सेना के लिए सीक्रेट मिसाइल बेस बनाने में जुटा है. खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड इनिशियेटिव (बीआरआई) का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा सीपैक यानी चायना पाकिस्तान इकॉनोमिक कॉरेडोर शुरू तो बड़े ज़ोर शोर से शुरू हुआ था, लेकिन उसकी रफ्तार अब बहुत धीमी पड़ चुकी है.</p> <p style="text-align: justify;">खबर तो ये भी है कि पाकि‌स्तान अब सीपैक अथॉरिटी को ही भंग करने की तैयारी में जुटा है. ऐसे में करोड़ों-अरबों रुपये खर्च करने के बाद चीन की पीएलए सेना अब पाकिस्तानी सेना के लिए निर्माण काम करने में जुटी है. खुफिया रिपोर्ट के हवाले से खबर है कि पीएलए-सेना बलूचिस्तान में पाकिस्तान के लिए मिसाइल बंकर बना रही है. रिपोर्ट के मुताबिक, सिंध के नवाबशाह और बलूचिस्तान के खुजदर के करीब चीन पाकिस्तानी सेना के लिए ये निर्माण कर रहा है. </p> <p style="text-align: justify;"><strong>ये है इन मिसाइल बंकरों की खासियत</strong></p> <p style="text-align: justify;">खास बात ये है कि ये बंकर पहाड़ियों में गुफा बनाकर तैयार किए जा रहे हैं. जानकारों की मानें तो पहाड़ों में इस तरह के बंकर बनाने से एक तो 'नेचुरल डिफेंस' मिल जाता है यानी ऊपर से ये पहचान मुश्किल होता है कि वहां कोई खुफिया मिसाइल बेस है और दूसरे अगर कोई हवाई हमला होता है तो माउंटेन केव में रखी गई मिसाइल और गोलाबारूद को नुकसान कम पहुंचता है. पहाड़ों में बंकर बनाने से दूसरे देशों के सैटेलाइटों से भी काफी हद तक छिपाया जा सकता है. इस तरह 'माउंटेन केव' बंकर की एक और खासियत होती है कि ये बड़ी आसानी से बनाए भी जाते हैं और निर्माण कार्य के दौरान किसी को भनक तक नहीं लगती. एक बार टनलिंग शुरू हो जाए तो पहाड़ों के भीतर भीतर लंबी दूरी तक भी हर वक्त काम किया जा सकता है. </p> <p style="text-align: justify;"><strong>मिसाइल बेस पाकिस्तानी सेना के लिए क्यों जरूरी?</strong></p> <p style="text-align: justify;">बता दें कि, पहाडों में टनलिंग करने में चीन को महारत हासिल है. चीन ने तिब्बत में अपने एयरक्राफ्ट को सुरक्षित रखने के लिए इसी तरह के माउंटेन हैंगर तैयार किए हैं. हालांकि इस बात की जानकारी नहीं है कि बलूचिस्तान मिसाइल फैसेलिटी कितनी बड़ी है, लेकिन जानकारी के मुताबिक इस तरह के माउंटन केव कई सारे हैं. ये मिसाइल बेस पाकिस्तानी सेना को इसलिए भी बेहद जरूरी है क्योंकि आए दिन बलूचिस्तान में बलूच विद्रोही पाकिस्तानी सेना के कैंप पर हमले करते रहते हैं. </p> <p style="text-align: justify;"><strong>खुजदर में है पाकिस्तानी सेना का कैंटोनमेट एरिया</strong></p> <p style="text-align: justify;">बलूचिस्तान के खुजदर में जिस जगह ये निर्माण हो रहा है वहां पाकिस्तानी की एक मिसाइल रेजिमेंट पहले से ही तैनात रहती है. खुजदर में पाकिस्तान सेना का एक बड़ा कैंटोनमेट एरिया है. ये मिसाइल बेस पाकि‌स्तानी सेना की क्वेटा कोर के अंतर्गत आता है. बुधवार को ही पाकिस्तान के विवादित मिलिट्री कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल आसिफ गफूर को पाकिस्तानी सेना ने क्वेटा कोर (XII) का कमांडर नियुक्त किया था. ये पोस्ट हेलीकॉप्टर क्रैश में मारे गए कोर कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल सरफराज अली की जगह खाली हुई थी. </p> <p style="text-align: justify;"><strong>कौन है लेफ्टिनेंट जनरल आसिफ गफूर?</strong></p> <p style="text-align: justify;">लेफ्टिनेंट जनरल आसिफ गफूर भारत में इसलिए जाने जाते हैं क्योंकि बालाकोट एयर स्ट्राइक के दौरान वे पाकिस्तानी सेना की मीडिया विंग, आईएसपीआर के चीफ (डीजी) थे. उन्होंने ही अपने ट्वीट के जरिए पूरी दुनिया को भारत की एयर स्ट्राइक की जानकारी दी थी. विंग कमांडर अभिनंदन के पकड़े जाने पर गलत ट्वीट कर वे फंस गए थे कि भारत के दो पायलट पकड़े गए हैं जबकि एक पायलट पाकिस्तानी सेना का था. </p> <p style="text-align: justify;">पाकिस्तान मिसाइल के जखीरे को बढ़ाने में जुटा है और इनमें परमाणु मिसाइल भी शामिल हैं. ऐसे में उन्हें दुनिया की नजरों से छिपाए रखना भी बेहद जरूरी है. ग्वादर में बलूच विद्रोहियों के गदर के चलते चीन अपने प्रोजेक्ट को समय से पूरा नहीं कर पा रही. लिहाजा इस प्रोजेक्ट के साथ-साथ अब चीन पाकिस्तान में सामरिक ताकत में इजाफा करने में जुटा है जिनमें हथियारों के अलावा उनके सुरक्षित रखने का भी पूरा इंतजाम किया जा सके‌. </p> <p style="text-align: justify;"><strong>चीन पीओके में भी मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में जुटा</strong></p> <p style="text-align: justify;">बलूचिस्तान के साथ-साथ चीन पाकिस्तानी सेना के लिए पीओके (POK) यानि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भी मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में जुटा है. खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हाल ही में पीएलए के 10-12 चीनी सैनिक पीओके के शारदा आर्मी कैंप (40 फ्रंटियर फोर्स) में भी अंडरग्राउंड बंकर तैयार करने में जुटे दिखाए पड़े थे. पीओके के केल इलाके में भी पाकिस्तान सेना के फुलवाई कैंप में चीनी सेना के इंजीनियर्स अंडरग्राउंड बंकर तैयार कर रहे हैं.</p> <p style="text-align: justify;">बहरहाल CPEC पाकिस्तान (Pakistan) के लिए अभी एक जैकपॉट की तरह जरूर दिख रहा होगा, लेकिन इसी के बहाने चीन (China) पाकिस्तान पर धीरे-धीरे कर्ज से कब्जी भी करता दिख रहा है. वैसे जानकारों की मानें तो शिनजियांग प्रांत से बलूचिस्तान के ग्वादर तक बनने वाले सीपीईसी (CPEC) के निर्माण कार्य में हो रही देरी के चलते इसका महत्व लगभग खत्म होता नजर आ रहा है. </p> <p style="text-align: justify;"><strong>ये भी पढ़ें- </strong></p> <p style="text-align: justify;"><strong><a title="CPEC में अफगानिस्तान को शामिल करने के लिए चीन पूरी तरह से तैयार, भारत कर रहा विरोध" href="https://ift.tt/ZRpjI0H" target="">CPEC में अफगानिस्तान को शामिल करने के लिए चीन पूरी तरह से तैयार, भारत कर रहा विरोध</a></strong></p> <p style="text-align: justify;"><strong><a title="China Taiwan Tension: चीन की ताइवान के आसपास उकसावे की कार्रवाई, 2 घंटे में 11 बैलिस्टिक मिसाइल दागी" href="https://ift.tt/PU4sTiM" target="">China Taiwan Tension: चीन की ताइवान के आसपास उकसावे की कार्रवाई, 2 घंटे में 11 बैलिस्टिक मिसाइल दागी</a></strong></p>
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