<p style="text-align: justify;"><strong>Citizenship Controversy:</strong> असम में नागरिकता विवाद लगातार बढ़ता ही जा रहा है. इस बीच इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक असम की गुवाहाटी हाई कोर्ट <strong>(Gauhati High Court)</strong> की फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल बेंच <strong>(Foreigners Tribunal Bench)</strong> ने कहा है, ''एक बार ट्रिब्यूनल ने अगर किसी की नागरिकता भारतीय घोषित कर दी है, तो उस व्यक्ति को दोबारा कोर्ट में लाने पर उसे गैर-भारतीय घोषित नहीं किया जा सकता है.'' गुवाहाटी कोर्ट की ये टिप्पणी असम में काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि गुवाहाटी हाई कोर्ट ने ये दलील ऐसे समय में दी जब असम में कई लोगों को भारतीय घोषित कर दिया गया है उसके बाद भी उन्हें अपनी राष्ट्रीयता घोषित करने के लिए नोटिस भेजे गए थे. </p> <p style="text-align: justify;">देश की नागरिकता से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान गुवाहाटी हाई कोर्ट ने कि किसी व्यक्ति की नागरिकता के संबंध में ट्रिब्यूनल की राय ‘रेस ज्यूडिकाटा’ के रूप में काम करेगी. इसका मतलब है कि जिसका मामला पहले ही तय हो चुका है उसे अदालत नहीं लाया जा सकता है. नागरिकता से संबंधित कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए जस्टिस नानी तागिया और जस्टिस एन कोटिस्वर सिंह की बेंच ने कहा, अगर किसी व्यक्ति ने अपनी नागरिकता एक बार साबित कर दी है तो फिर उसे बाद की किसी भी कार्यवाही में विदेशी साबित नहीं किया जा सकता है. </p> <p style="text-align: justify;"><strong>अमीना खातून के मामले का दिया उदाहरण</strong><br />साल 2018 के अमीना खातून मामले का उदारहण देते हुए कोर्ट ने कहा था कि यह भी उच्च न्यायालय द्वारा निर्णय लिया गया था, लेकिन पीठ ने कहा कि यह अब्दुल कुड्डुस के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर ‘अच्छा कानून नहीं’ है. इसी मामले पर जिरह करते हुए राज्य ने जोर देकर कहा, विदेशी अधिनियम 1946 की धारा 3 के तहत, केंद्र सरकार को विदेशियों का पता लगाने और उन्हें निर्वासित करने की शक्ति निहित है. केंद्र सरकार ने यह क्षमता पुलिस अधीक्षकों को सौंप दी, जबकि निर्वासन को अधिकार अपने पास रखा. </p> <p style="text-align: justify;"><strong>ट्रिब्यूनल की राय ‘रेस ज्यूडिकाटा’ के तहत काम करेगी</strong><br />इसके बाद अब, नागरिकता मामले में याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला देते हुए इस बात का तर्क दिया है कि अमीना खातून के मामले में दिया गया फैसला पालन करने के लिए एक अच्छा कानून नहीं है. तब कोर्ट ने कहा, ट्रिब्यूनल की राय ‘रेस ज्यूडिकाटा’ के रूप में काम करेगी. इसका मतलब है कि अगर एक बार ट्रिब्यूनल ने किसी भी शख्स को अगर भारतीय साबित कर दिया है तो फिर उसे दूसरी बार सुनवाई में विदेशी साबित नहीं किया जा सकता है. </p> <p style="text-align: justify;"><strong>यह भी पढ़ेंः</strong></p> <p style="text-align: justify;"><strong><a title="Twitter के CEO पराग अग्रवाल की पत्नी विनीता को Elon Musk दे सकते हैं ये बड़ी जिम्मेदारी" href="https://ift.tt/quF9N8z" target="">Twitter के CEO पराग अग्रवाल की पत्नी विनीता को Elon Musk दे सकते हैं ये बड़ी जिम्मेदारी</a></strong></p> <p style="text-align: justify;"><strong><a title="Money Laundering Case: NCP नेता नवाब मलिक की बढ़ी मुश्किलें, 20 मई तक बढ़ी न्यायिक हिरासत" href="https://ift.tt/cIXdUxm" target="">Money Laundering Case: NCP नेता नवाब मलिक की बढ़ी मुश्किलें, 20 मई तक बढ़ी न्यायिक हिरासत</a></strong></p>
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