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कोरोना केस अपने जिले में शून्य होने या बच्चों को वैक्सीन लगने तक 76% पैरेंट्स नहीं चाहते बच्चों को स्कूल भेजना- सर्वे

<p style="text-align: justify;">सरकार ने इस हफ्ते नियमित प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा कि जब तक आबादी के एक बड़े हिस्से को वैक्सीन नहीं लगा दी जाती है, तब तक स्कूलों को खोलना मुश्किल होगा. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान बड़ी तादाद में बच्चे और नवजात शिशु संक्रमित हुए थे. ऐसी स्थिति में मेडिकल एक्सपर्ट के मुताबिक स्कूलों को दोबारा खोलने पर कोरोना केस में भारी इजाफा हो सकता है. खासकर जब अगले दो महीने से भी कम समय में कोरोना की तीसरी लहर की संभावना जताई जा रही है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>दूसरी लहर में ज्यादा संक्रमित हुए बच्चे</strong></p> <p style="text-align: justify;">इस बात के प्रमाण हैं कि कोरोना की पहली लहर के मुकाबले दूसरे वेव के दौरान ज्यादा बच्चे संक्रमण की चपेट में आए थे. महाराष्ट्र के एक जिले में सिर्फ मई में ही 8 हजार बच्चे संक्रमित पाए गए. हाल में मेघालय में 0-14 साल तक के 5 हजार बच्चे संक्रमित पाए गए. कोरोना की पहली लहर के दौरान 4 फीसदी बच्चे संक्रमित हुए थे जबकि दूसरी लहर में यह बढ़कर 10 से 20 फीसदी हो गया.</p> <p style="text-align: justify;">सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया जुलाई महीने में भारत में नोवावैक्स के ट्रायल की योजना बना रही है. भारत बायोटेक की दो वैक्सीन का बच्चों पर परीक्षण किया जा रहा है. भारत सरकार फाइजर वैक्सीन का भी रास्ता देश में साफ कर रही है. फाइजर ने इसका ऐलान किया है कि उसकी वैक्सीन 12 साल के ऊपर के बच्चों पर सुरक्षित है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>कई राज्य स्कूलों को खोलने पर कर रहे विचार</strong></p> <p style="text-align: justify;">हालांकि, कोरोना केस में भारी कमी के बाद कई राज्यों ने अनलॉक की प्रक्रिया शुरू कर दी हैं. कुछ राज्य सरकारें स्कूलों को दोबारा खोलने पर विचार कर रही हैं. उदाहरण के लिए तेलंगाना ने स्कूल-कॉलेज समेत सभी शैक्षणिक संस्थानों को 1 जुलाई से खोलने का ऐलान किया है. बिहार में 1 जून से चरणबद्ध तरीके से पहले हायर एजुकेशन और उसके बाद मीडिल और फिर प्राइमरी स्कूलों को खोलने के पक्ष में है.</p> <p style="text-align: justify;">उत्तर प्रदेश सरकार भी स्कूलों को खोलने पर विचार कर रही है. हालांकि, सिर्फ टीचर की स्कूल आएंगे और वहीं से क्लास लेंगे. दूसरी तरफ दिल्ली-महाराष्ट्र-असम-जम्मू कश्मीर और मध्य प्रदेश ने इस पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया है. लोकल सर्कल्स की तरफ से 19 हजार से ज्यादा पैरेंट्से से देश के 293 जिलों में सर्वे किया गया.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>76 फीसदी पैरेंट्स बच्चों को स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं</strong></p> <p style="text-align: justify;">सबसे पहला सवाल पैरेंट्स से पूछा गया कि क्या वे कोरोना के B.1.617.2 स्ट्रेन को देखते हुए अपने बच्चों को स्कूल पढ़ने के लिए भेजेंगे? इसके जवाब में 37 फीसदी ने कहा कि जब तक वैक्सीनेशन नहीं हो जाता तब तक नहीं भेजेंगे. हालांकि 20 फीसदी लोगों ने कहा कि जब स्कूल दोबारा खुलेंगे तो वे भेज देंगे. जबकि 24 फीसदी पैरेंट्स ने कहा कि जब तक उनके जिलों में केस शून्य नहीं हो जाते तब तक वे अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे. तो वहीं 4 फीसदी ने कहा कि वे इस बारे में कुछ नहीं बता सकते हैं. औसत तौर पर 49 फीसदी पैरेंट्स कोरोना केस शून्य होने तक या फिर बच्चों को वैक्सीनेट होने तक बच्चों को स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं थे. यह सर्वे 10 हजार 826 लोगों के जवाब पर आधारित है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>चार महीने में स्कूल भेजने वाले पैरेंट्स 69 फीसदी से 20 फीसदी हुए </strong></p> <p style="text-align: justify;">इस साल जनवरी में जब लोकल सर्कल्स की तरफ से यह सवाल किया गया था कि वे अप्रैल में या उसके बाद स्कूल दोबारा खुलने पर बच्चों को भेजने के पक्ष में है. इसके जवाब में 69 फीसदी पैरेंट्स सहमत थे. लेकिन इस नंबर में काफी कमी आई है. अगर जुलाई में स्कूल दोबारा खुलता भी है तो सिर्फ 20 पैरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल भेजने पर सहमत हैं.</p> <p style="text-align: justify;">इसी तरह 65 फीसदी भारतीय पैरेंट्स चाहते हैं कि अगर सितंबर तक कोरोना वैक्सीन आती है तो वे अपने बच्चों को लगवा देंगे. जबकि 21 फीसदी पैरेंट्स चाहते है कि कम से कम दिसंबर 2021 तक का वे इंतजार करेंगे.</p>

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